राज्य एवं जनहित में कोसी नदी पर एक बराज निर्माण होगा : सम्राट चौधरी
सरकार ने सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 1070 जारी किया है।
(बिहार/पटना :-चंदन बादशाह) :- बिहार का शोक कही जाने वाली कोसी नदी 724 किलोमीटर लंबी है,जो भारत-नेपाल की सुपौल बॉर्डर पर बने भीमनगर बराज से कोसी बिहार में आती है। ज्ञात हो कि बिहार का शोक कहे जाने वाले प्रसिद्ध कोशी नदी की धारा को बांधने एवं नियंत्रित करने के उद्देश्य से सरकार।
25 अप्रैल, 1954 को भारत-नेपाल के बीच भीमनगर से बराज निर्माण के साथ-साथ 1955 में सरकार ने तटबंध एवं नहरों का निर्माण कार्य कराया था । भारत और नेपाल सीमा पर निर्मित ऐ बांध पे पानी बहाव के नियंत्रण के लिए कुल 56 गेट बने तथा निर्माण के समय इस बांध में पानी के बहाव की क्षमता 9. 25 लाख धनफुट प्रति सेकंड आकलित की गई थी तथा इसकी आयु आंकड़ों में 25 वर्ष तय किया गया था । सन् 1962 में कमीशन प्राप्त इस बांध की आयु 62 वर्ष पुरा कर चुका है। गाद के निक्षेपण के कारण जल स्तर बढ़ जाने से बांध टुटने का खतरा बना रहता है,अब तक यह बांध 7 बार टुट चुका है जिससे बिहार के लाखों लोगों के विस्थापित होने के साथ जान माल, मवेशी , मकान,फसल के साथ संपत्ति नष्ट होने का खतरा प्रत्येक वर्ष होता है। बिहारवासियों के बीच हाहाकार तबाही जैसा मंजर देखने को मिलता है कई के अपने परिवार के बिछुड़ने के साथ बचे परिवार के प्रत्येक वर्ष उनके सपने टुटते हैं। लोगों के मन में हमेशा भय का माहौल बना रहता है।सरकार को भी भारी विकट समस्या के साथ आर्थिक हानि व राज्य की आर्थिक अर्थव्यवस्था पे भी असर पड़ता है।
इसी कड़ी में माननीय उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी आज नई दिल्ली पहुंचे और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल से मिलकर बिहार में आने वाले बाढ़ के खतरे के समुचित निदान के लिए मांग पत्र सौंपा वहीं मंत्री सियार पाटिल ने नेपाल से दूर भारत सीमा अंतर्गत कोशी नदी पर एक नये बांध (बराज) निर्माण की बात कहा और तत्काल कार्यवाही करने की सहमति दी । वहीं नये बांध के निर्माण से बाढ़ की समस्या समाधान के साथ बिधुत उत्पादन, मत्स्य पालन, सिंचाई एवं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
मालूम हो कि कोसी नेपाल के पहाड़ों से शुरू होकर तिब्बत होते हुए ये बिहार में आती है।जिससे बिहार में विनाशकारी स्थिति पैदा होती है इसलिए इसे "बिहार का शोक" भी कहा जाता है।कोसी हिमालय पर्वतमाला में 7000 मीटर की ऊँचाई से अपनी यात्रा शुरू करती है।कोसी का ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र नेपाल और तिब्बत में पड़ता है ,दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट और कंचनजंगा जैसी पर्वतमालाओं से कोसी गुजरती है। नेपाल में कोसी को सप्तकोसी के नाम से जानते हैं।कोसी में नेपाल की 7 नदियाँ इन्द्रावती, सुनकोसी, तांबा कोसी, लिक्षु कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी और तामर कोसी मिलती हैं। ये नदियाँ भारत-नेपाल सीमा से लगभग 48 किलोमीटर उत्तर कोसी में मिलती हैं।
अब सवाल है सरकार से, लम्बे समय से सरकार में बैठे लोगों से -चाहे भाजपा-जदयू की सरकार हो या जदयू राजद की सरकार हो ,चाहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी हो , उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हो विपक्ष के नेता लालू प्रसाद यादव का परिवार पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सरकार में हो या विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष में हो क्यों नहीं बाढ़ प्रभावित बिहारवासियों के लिए समय से पूर्व बाढ़ की स्थाई निदान के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाये, क्या बाढ़ के बहाने नेताओं को राजनीतिक रोटी सेकने की आदत है पुछती है बाढ़ प्रभावित बिहार की जनता।
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