पत्रकारों पर झूठा मुकदमा संविधान एवं लोकतंत्र का हनन
(बिहार/खगड़िया -चंदन बादशाह ):- लोकतंत्र में पत्रकारों को चौथा स्तंभ की श्रेणी में रखा गया है। पत्रकारों का संवैधानिक अधिकार है प्रशासन और सरकार की आलोचना करना, उनके अच्छे -बुरे कार्य को जन-जन तक पहुंचाना। लेकिन आज सत्ता की हनक और प्रशासन की हिटलरशाही रवैया से लोकतंत्र के चौथै स्तंभ प्रताड़ित किये जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय द्वारा एक्स पर नियुक्तियों में सरकार द्वारा जातिगत पक्षपात करने संबंधी पोस्ट लिखने पर यूपी सरकार के प्रशासन ने अपराधिक मुकदमा दर्ज कर पत्रकार पर कार्रवाई किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19 एक ए के तहत पत्रकारों की अधिकार संरक्षण के तहत जस्टिस ऋषिकेश राय एवं जस्टिस एसवीएन भट्टी द्वारा क्लीन चीट दी गई। जस्टिस ने कहा कि पत्रकारों का संवैधानिक अधिकार है सरकार और प्रशासन की आलोचना करना,इसे अपराधिक मामला नहीं माना जाना चाहिए।सरकार एवं प्रशासन की आलोचना करना पत्रकारों पर अपराधिक केस एवं गिरफ्तारी नहीं हो।
इधर सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश का जिला प्रेस क्लब पत्रकार संघ ने हार्दिक स्वागत करते हुए हर्ष व्यक्त किया है। तथा पत्रकारों को सुरक्षा हेतु दी गई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पत्रकार हित में देने पर पत्रकारों ने बधाई एवं साधुवाद दिया है।
नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला उपाध्यक्ष चंदन बादशाह,जिला प्रेस क्लब पत्रकार संघ के संरक्षक किरण देव यादव, अध्यक्ष सुमलेश कुमार, उपाध्यक्ष जन्मजय कुमार, सचिव संजय कर्ण, संयुक्त सचिव सुनील कुमार, कोषाध्यक्ष विक्रम शर्मा, प्रवक्ता धर्मेंद्र कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान होना चाहिए।
श्री यादव ने कहा कि देश भर में सरकार एवं प्रशासन राजनीतिक, संक्रिण मानसिकता एवं दुर्भावना से ग्रसित होकर बदले की भावना से प्रेरित होकर पत्रकारों पर झूठा मुकदमा कर पत्रकार को जेल में बंद कर दिया जाता है जो लोकतंत्र एवं संविधान पर कुठाराघात है। एवं लोकतांत्रिक संवैधानिक मूल्यों का हनन है।
श्री यादव ने कहा कि खगड़िया जिला में भी पत्रकार मशरुर आलम सिकंदर आजाद शैलेंद्र तरकर सुमलेश कुमार सुनील कुमार धर्मेंद्र कुमार प्रवीण प्रियांशु आनंद राज कमल किशोर यादव आदि पत्रकारों पर बदले की भावना से मुकदमा की गई है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं चंदन बादशाह ने कहा पत्रकारों को भी सही, समुचित एवं संवैधानिक लोकतांत्रिक तरीके से पत्रकारिता करने की जरूरत है। पीत पत्रकारिता से परहेज करने की जरूरत है।
श्री यादव ने जेल में बंद पत्रकार मसरूर आलम को जल्द रिहा करने एवं पत्रकारों पर हुई सभी संबंधित केस को समाप्त करने की मांग किया है।
विदित हो कि पत्रकार मशरुर आलम पर गोगरी थाना अध्यक्ष द्वारा राजनीति से प्रेरित होकर 1 महीने में तीन केस मुकदमा किया गया, इसके विरोध में डीएम के समक्ष अनशन पर बैठने के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जो विगत 1 महीने से जेल में बंद है, जिसे उच्च स्तरीय जांच कर कोर्ट द्वारा त्वरित संज्ञान लेकर रिहा करने की जरूरत है। एवं पत्रकार को समुचित न्याय देते हुए रिहा करने की मांग किया।
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