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जल जीवन हरियाली दिवस पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परिचर्चा समाहरणालय परिसर में किया गया वृक्षारोपण।

खगड़िया (चंदन कुमार) -जल जीवन हरियाली दिवस" के अवसर पर शिक्षा विभाग, बिहार द्वारा भवनों में छत वर्षा जल संचयन की संरचना विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया, जिसमें संबंधित विभागों सहित सभी जिलाधिकारियों, उप विकास आयुक्तों एवं जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने वर्चुअल रूप में भाग लिया।

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परिचर्चा में विभिन्न विभागों के वक्ताओं ने वर्षा जल संचयन की आवश्यकता पर बल देते हुए अवगत कराया कि जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए सरकार द्वारा काफी योजनाएं बनाई जा रही हैं। इस दिशा में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जल जीवन हरियाली की महत्वाकांक्षी एवं दूरगामी योजना तैयार कराई गई है। हम पानी का निर्माण नहीं कर सकते केवल इसका कुशलतापूर्वक उपयोग करके पानी की कमी से निपटने में सक्षम हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन से पानी की उपलब्धता पर असर पड़ रहा है और पानी सभी जीव जंतुओं के साथ हरियाली के लिए भी आवश्यक है। हरियाली अर्थात पेड़ पौधों के होने पर ही धरती पर जीवन संभव है। 

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भवनों में वर्षा जल संचयन की संरचना तैयार कर हम भूगर्भ जल के स्तर को ऊंचा तो उठा ही सकते हैं, साथ ही संचित वर्षा जल का विभिन्न कार्यों में उपयोग भी कर सकते हैं। 20-25 दिनों के वर्षा के जल का 100 दिनों तक आसानी से उपयोग किया जा सकता है। भूगर्भ जल का स्तर भी ऊंचा करने में मदद मिलेगी। अतिरिक्त पानी को बोरिंग के माध्यम से भूगर्भ के अंदर भेजा जा सकता है। वर्षा जल का अधिक से अधिक संचयन कर भूगर्भ जल को रिचार्ज कर सकते हैं। 

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विदित हो कि प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल जीवन हरियाली दिवस आयोजित किया जाता है और इस बार शिक्षा विभाग को इसके आयोजन की जिम्मेदारी मिली थी।
परिचर्चा के उपरांत जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष, उप विकास आयुक्त श्रीमती अभिलाषा शर्मा एवं अपर समाहर्ता श्री शत्रुंजय कुमार मिश्रा ने समाहरणालय परिसर में वृक्षारोपण भी किया।

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